Wednesday, April 7, 2010

तुम्हारी याद ...

बहुत याद आई तुम्हारी .... आज तपती दोपहर में जब घर लौटा .. बिखरा कमरा , सल्वती बिस्तार और .. तुम्हारी तस्वीर पर जम i एक पर अत . देखा जब तुम्हारी दी घड़ी , कलम और किताबें एक छोटा सा रुमाल , chandi की अठन्नी कोने में पड़ा लंच बॉक्स , और घुझियों का खली डब्बा । करीने से सजी भगवान् की मूर्तियाँ और ... सामने जले हुवे धुप के अवसेश .... तकिये के खोल पर तुम्हारी नक्काशी , और मेरे गले का का ला धागा ... देखा तो बड़ी याद आई तुम्हारी . दिन भर की हताशा के बाद लौटा जो घर , रोटियों की सोंधी गंध की कौन कहे , एक ग्लास ठंडा पानी पूछने को जब कई ना था , तो तुम्हारी बड़ी याद आई माँ . हाँ .. बड़ी शिद्दत से याद आई माँ

No comments:

Post a Comment

thanks 4 viewing.