एक खोज जारी है यहां, मन के अंदर और बाहर भी परिनिर्वाण की तालाश में, जैसे किसी बुद्ध की तरह। क्या पता किसी वैश्या के हाथों खीर की कटोरी में मिल जाए वजूद एक दिन यूं मुददतों से भटकते-2 उस तथागत या कि बुद्ध की तरह।
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